जान लीजिये कितनी कमाई करती हैं पोर्न साइटें, कैसे बढ़ती है कमाई।

यह एक बड़ी इंडस्ट्री है ठीक वैसे ही जैसे हॉलीवुड, बॉलीवुड, टॉलीवुड, सैंडलवुड, आदि। इसमें बाकायदा फिल्म मेकर्स हैं, डायरेक्टर हैं, राइटर हैं और स्टार्स हैं। इन्हीं स्टार को हम पोर्न स्टार कह कर पुकारते हैं। हां यह जरूर है कि इनका बजट हॉलीवुड-बॉलीवुड फिल्मों जितना बड़ा नहीं होता। मूवी शूट करने के बाद इनकी फिल्में थ‍ियेटर में जाती हैं। चूंकि तमाम देशों के सिनेमाघरों में पोर्न मूवीज़ दिखाना प्रतिबंध‍ित है, लिहाजा कमाई का एक मात्र जरिया बजता है इंटरनेट। इंटरनेट पर ये मूवी अपलोड कर देते हैं और वहीं से इनका धन-मीटर चालू हो जाता है। जितने व्यूज़ उतनी कमाई। डेस्कटॉप के बाद अब मोबाइल व टैब पर इंटरनेट यूजर्स तेजी से बढ़ रहे हैं। लिहाजा छोटी स्क्रीन पर गंदी फिल्में देखने वालों की संख्या भी।

कैसे बढ़ती है कमाई

एक बार जब कोई एडल्ट कंटेंट सर्च करता है, तो उसके सिस्टम की कुकीज में कीवर्ड स्टोर हो जाते हैं।

दोबारा लॉग इन करने पर वो कुछ भी पढ़े, सिस्टम बार-बार उसे एडल्ट कंटेंट सजेस्ट करेगा।

इससे व्यूज बढ़ते हैं। सेक्स टॉय डीलर्स से लेकर कई अन्य 'स्टार्स' भी डेटिंग से लेकर पॉर्न साइट से संपर्क साधते हैं। ताकि व्यूज बढ़ें।

जिन साइट्स का ट्रैफिक ज्यादा होता है, उस साइट को विज्ञापनदाता अपनी लिस्ट में शामिल कर लेते हैं। इससे मुनाफा बढ़ता है।

जो लोग बिकनी, कंडोम, आदि सर्च करते हैं, उन्हें भी ये एडल्ट साइट्स के विज्ञापन सजेस्ट करते हैं, ताकि वे इसका आदि हो जाये।

कुछ ऐसे भी पोर्न साइट्स हैं जहां यूजर्स साइन इन करने के लिए चार्ज भी देना पड़ता है। इससे भी साइट्स की कमाई होती है। शुरुआत में छूट देती हैं, जैसे एक महीने की फ्री मेंबरशिप, आदि। जब इंसान आदी हो जाता है, तब उससे पैसे चार्ज होते हैं। इस तरह से साइट की कमाई में इजाफा होता रहता है और विज्ञापन के अलावा यूजर्स के जरिए भी पॉर्न साइट्स कमाई कर ले जाती हैं।

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कार्रवाई डॉट कॉम डोमेन पर हुई तो पोर्न वेबसाइट्स ने निकाल लिया काट

दो वैश्विक पोर्न पोर्टल - रेडट्यूब और पोर्नहब ने भारत में वापसी की है और किसी को इन साइटों पर एक्सेस करने के लिए कोई तरकीब लगाने की जरूरत नहीं है। डोमने नेम में हल्‍का से बदलाव कर ये आसानी से चल रहे हैं। चूंकि कार्रवाई डॉट कॉम डोमेन पर हुई है, तो पोर्न वेबसाइट्स बिना किसी वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन), वैकल्पिक ब्राउजर्स, प्रॉक्सीज और अन्य उपायों की जरूरत के बिना विभिन्न स्क्रीन्स पर आसानी से एक्सेस की जा सकती हैं। आपको बता दें कि डॉट ओआरजी (.org) ज्यादातर नॉन-प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन द्वारा इस्तेमाल किया जाता है। वहीं डॉट नेट (.net) का इस्तेमाल एक्सटेंशन नेटवर्क के लिए होता है। .net डोमेन अधिकतर इंटरनेट, ईमेल और नेटवर्किंग सर्विस प्रोवाइडर्स द्वारा इस्तेमाल किया जाता है।


भारत में साइबर सिक्यॉरिटी के लिए कड़े कानून लाने की जरूरत

इस बारे में देश के जाने-माने साइबर लॉ एक्सपर्ट पवन दुग्गल का कहना है कि भारत में साइबर सिक्यॉरिटी के लिए कड़े कानून लाने की जरूरत है। हाल ही में दिल्ली में हुई बैठक में एक्सपर्ट्स मे साइबर क्राइम से जुड़े विषयों पर चर्चा की गई जिसमें चाइल्ड पॉर्न, सेक्सटिंग, सेक्स ट्रैफिकिंग, साइबर ट्रोलिंग और महीलाओं के खिलाफ हिंसा जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई। उन्‍होंने कहा कि चकमा देकर दोबारा भारत में एंट्री करने वाले विदेशी पोर्टल्स के खिलाफ दोबारा नए सिरे से कार्रवाई के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है।

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